A Review Of भाग्य Vs कर्म
A Review Of भाग्य Vs कर्म
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कई बार लहरों से डरने वाला ऊपर वाले का धन्यावाद भी करता है कि वो नौका लेकर नहीं उतरा, वरना सामने वाले की तरह डूब जाता, जीवन को एक ही पहलू से मत देखो, जिनकी कविता का आपने ज़िक्र किया है, उनके बेटे ने हाथ में नग पहना हुआ है, क्योंकि कोशिश कामयाब नहीं हो रही थी, कामयाब उन्हें नग ने भी नहीं किया, उनका समय सही शुरू हुआ तो दुबारा कामयाबी मिल गयी, वरना नग तो अभिषेक ने भी पहना था
आचार्य जी, मैं समझ रहा हूं की आप क्या कहना चाहते हैं पर ये आप भी भली-भांति जानते हैं कि ज्योतिषाचार्य ग्रह नक्षत्र देखकर बता सकते हैं की अच्छा और बुरा वक्त कब आना वाला है और हमें किस तरह की बातों पर ध्यान देना है कि उस समय को हम अच्छी तरह निकाल सकें।
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न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥
कर्म अलौकिक प्रतीत हो सकता है, लेकिन यह एक सरल नियम का काम है। हम जो भी देते हैं, वही हमें प्राप्त होता है।
उपरोक्त उदाहरणों की रोशनी में यदि श्रीमद्भगवद्गीता के मशहूर श्लोक -कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोअस्त्वकर्मणि (तुम्हें कर्म (कर्तव्य) का अधिकार है, किन्तु कर्म-फल पर तुम्हारा अधिकारी नहीं है। तुम न तो कभी स्वयं को अपने कर्मों के फलों का कारण मानो और न ही कर्म करने या न करने में कभी आसक्त होओ) को देखा जाए तो तस्वीर बहुत कुछ साफ हो जाती है। इस श्लोक को लेकर लोग अक्सर सवाल उठाते हैं कि यदि कर्म-फल पर मनुष्य का अधिकार नहीं होगा तो वह कर्म करेगा ही क्यों?
वस्तुत: कर्म ही हमारे उत्थान और पतन का कारण है। कर्म ही हमारे जीवन की दिशा और दशा तय करता है। अत: हम सबको सदैव हानि get more info पहुंचाने वाले कर्मो से दूरी रखते हुए अच्छे कर्मो का वरण करना चाहिए।
क्या हर चाय वाला इतना करता है
आज एक बालक निजी विद्यालय में पढ़ता हे और दूसरा शिक्षा से वंचित है ,क्या ये उस बालक का दुर्भाग्य नही?
“दैव-दैव आलसी पुकारा”- आलसी ही दैव (भाग्य) का सहारा लेता है.
आचार्य जी-तो फिर आप ज्योतिष सीख कर क्या करना चाहते हो?
Newton legislation se just about every motion has an equal & opposite response.. To karm hua to final result aayega h aur ye consequence kanhi optimistic aayega ya negetive wahi bhagya hai..
वाकई में कर्म ही हमारे जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है l कर्म का महत्व बताती हुई हरिवंश राय बच्चन जी की एक कविता मुझे याद आ रही है l
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